मदारी !!
by Vikasini Chavan on Sunday, September 18, 2011 at 4:01pm
होटोंपे जब लाली थी
तब जेब अपनी खाली थी
खामोश थी निगाहे भी
दिल मैं हर एक सवाली थी
पेट भी खाली था दिल की तरह
सर्द होटों की भी लाली थी
सारा जहाँ देखकर भी
अपनी निगाहे खाली थी
जीना हम चाहते थे मगर
जीने कि राह खाली थी
क्यूँ की चाभी अपने तकदीर की
किसी मदारी के हाथ थी
तमाशा तकदीर का देखना
बस हमारी तकदीर थी !१
विकासिनी !!
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