Monday 19 September 2011

गहराइ रिश्तोंकी !! by Vikasini Chavan on Sunday, September 18, 2011 at 3:02pm

गहराइ रिश्तोंकी !!

by Vikasini Chavan on Sunday, September 18, 2011 at 3:02pm
गहराइ रिश्तोंकी !!
यू  तो कैसे कैसे रिश्ते बनते है
और बना लेता है कैसे हर कोई
दिलके रिश्तोंकी गहराइया समज़ना
आम इन्सान के बस की बात नहीं
जख्म खाओगे दिलपे लाख
मगर दिल का जख्म समज़ना
हर किसीके बस  की बात नहीं
रंजिशे दिल समज़ना
हर किसीको आता नहीं
रिश्तों के इस बाज़ार मैं
दिल तनहा है हर वक्त
फिर भी हरदम धड़कना
इसकी आदत तो है नहीं
काफ़िर निगाहे भी
बोलती है बहोत कुछ
शब्दोसे बाया करने की
किसीको जरूरत तो है नहीं
विकासिनी!!

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