जख्मे जज्बात !!
by Vikasini Chavan on Sunday, September 25, 2011 at 3:34pm
जख्मे जज्बात इतने
क्यूँ गहरे होते है ?
वक्त के गुज़रनेसे और भी
क्यूँ संगीन होते है ?
जख्म पुराने जितने उतने
क्यूँ दर्दीले होते है ?
चीर के सिने मैं इतने
क्यूँ चुभ से जाते है ?
निशान न छोड़ते हुये भी
क्यूँ दिलमें रह जाते है ?
वक्त हर एक घाव भर देता है
जख्मे जज्बात क्यूँ नासूर बन जाते है ?
विकासिनी !!
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