Wednesday 12 October 2011

जख्मे जज्बात !! by Vikasini Chavan on Sunday, September 25, 2011 at 3:34pm

जख्मे जज्बात !!

by Vikasini Chavan on Sunday, September 25, 2011 at 3:34pm
जख्मे जज्बात !!

जख्मे जज्बात  इतने
 क्यूँ गहरे होते है ?
वक्त के गुज़रनेसे और भी
 क्यूँ संगीन होते है ?
जख्म पुराने जितने उतने
 क्यूँ  दर्दीले होते है ?
चीर के सिने मैं इतने
 क्यूँ चुभ से जाते है ?
निशान न छोड़ते हुये भी
 क्यूँ दिलमें रह जाते है ?
वक्त हर एक घाव भर देता है
 जख्मे जज्बात क्यूँ नासूर बन जाते है ?
विकासिनी !!


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