ग़ज़ल !!
by Vikasini Chavan on Thursday, August 25, 2011 at 9:12pm
दिलके जख्मोंपे हसती है ग़ज़ल
दिलके घाव करारे करती है ग़ज़ल
खुदके ही गम पे हसती है ग़ज़ल
प्रीतम की रुसवाई है ग़ज़ल
बेचारे दिल की बेबसी है ग़ज़ल
दिल को चीर चीर चीरती है ग़ज़ल
कभी अपनों के गम पे तो कभी
दूसरोंके गम पे हसती है ग़ज़ल
तनहईयोंको और भी तड़पाती है ग़ज़ल
दिलकी बेकरारियां बढाती है ग़ज़ल
कत्ले आम करती है ग़ज़ल
फिर भी हसती है क्यूँ ये गजल ??
बड़ी ख़ुफ़िया होती है ग़ज़ल
बेवफाई को रदीफ़ कहती है ग़ज़ल
अपने ही अश्क सहती है ग़ज़ल
फिर भी उफ़ तक न करती है ग़ज़ल
अच्छा है मुजे नहीं आती है ग़ज़ल!!
अच्छा है मुज़े नहीं आती है ग़ज़ल !!
विकासिनी !!
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